स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक चौंकाने वाले मामले का खुलासा किया है, जिसमें गाजियाबाद के कविनगर क्षेत्र में पिछले 11 सालों से एक व्यक्ति द्वारा फर्जी दूतावास संचालित किया जा रहा था। आरोपी हर्षवर्धन जैन ने इटली और बिहार के गांवों के नाम पर काल्पनिक देशों का निर्माण कर उनके नाम से फर्जी दूतावास खोल रखे थे। इंटरनेट पर इन देशों के नाम पर गांवों और संगठनों के नाम सामने आ रहे हैं। अब एसटीएफ फर्जी दूतावास खोलने के पीछे की मंशा समझने और इसमें शामिल लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

इंटरनेट पर भी नहीं मौजूद ये देश

STF की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि हर्षवर्धन जैन ‘सर्बोगा’, ‘पॉलविया’, ‘लोडोनिया’ और ‘वेस्ट आर्कटिका’ जैसे देशों के नाम पर फर्जी दूतावास चला रहा था। जबकि ये देश इंटरनेट पर भी किसी मान्यता प्राप्त देश के रूप में दर्ज नहीं हैं। इंटरनेट पर ‘सर्बोगा’ खोजने पर इटली का एक गांव और माइक्रोनेशन की जानकारी मिलती है। वहीं ‘पॉलविया’ नाम केवल कुछ व्यक्तियों के सोशल मीडिया टाइटल में दिखाई देता है। जबकि ‘लोडोनिया’ बिहार के मधुबनी जिले का एक वास्तविक गांव है और ‘वेस्ट आर्कटिका’ दक्षिणी कैलिफोर्निया में पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में सामने आता है। जिसे माइक्रोनेशन की तरह प्रस्तुत किया गया था।

2013 से चल रहा था फर्जीवाड़ा

रिपोर्ट के अनुसार, STF अधिकारियों के अनुसार यह फर्जी दूतावास साल 2013-14 से कविनगर क्षेत्र में संचालित हो रहा था। शुरुआत में यह चोरी-छिपे चलता रहा, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी गतिविधियों में अचानक तेजी आ गई। कोठी के बाहर डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियों की आवाजाही बढ़ गई थी। इन वाहनों को पार्क कर ऐसा दिखाया जाता था जैसे यहां कोई आधिकारिक दूतावास संचालित हो रहा हो। इस असामान्य गतिविधि को देख लोगों को शक हुआ और मामला STF तक पहुंचा। STF नोएडा इकाई ने छापेमारी से पहले केंद्रीय एजेंसियों को रिपोर्ट भेजी थी। हरी झंडी मिलने के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

विदेशी ठेके और हवाला में थी सक्रियता

STF के मुताबिक हर्षवर्धन जैन का असली धंधा हवाला कारोबार और विदेशों में ठेके दिलाने का जाल था। वह खुद को अंतरराष्ट्रीय संपर्क सूत्र बताकर लोगों को विदेशों में सरकारी टेंडर दिलाने का झांसा देता था। वह कभी कुख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी का करीबी रह चुका है और अंतरराष्ट्रीय हथियारों के तस्कर अदनान खगोशी के संपर्क में भी था। बताया जा रहा है कि खगोशी के लिए वह विदेशों में हवाला का नेटवर्क भी संचालित करता था।

कोठी में दूतावास जैसी सजावट, झंडे, बोर्ड और वाहनों का दिखावा कर हर्षवर्धन जैन लोगों को गुमराह करता था। उसके पास नकली पासपोर्ट, दस्तावेज़ और पहचान पत्र भी बरामद हुए हैं, जो कथित तौर पर उसके फर्जी देशों से संबंधित बताए जाते हैं। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से वह लोगों को भरोसे में लेकर उनसे ठगी करता और उनके नाम पर वित्तीय धोखाधड़ी करता था। इस मामले ने सुरक्षा एजेंसियों को भी चौंका दिया है कि कैसे कोई व्यक्ति एक दशक तक राजधानी के पास एक फर्जी दूतावास चला सकता है। अब STF आरोपी के अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच कर रही है।