दिल्ली: अगले साल 2025 के फरवरी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने वाले हैं। यह चुनाव जहां राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद खास होगा, वहीं मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कार्यकाल का भी यह अंतिम चुनाव होगा। वह अगले साल 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं। इसे देखते हुए सूत्रों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 18 फरवरी से पहले ही कराए जा सकते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 12-13 फरवरी या इसके आसपास को दिल्ली में मतदान का दिन निर्धारित कर दिया जाए। हालांकि, इसका खुलासा चुनाव आयोग द्वारा की जाने वाली घोषणा से ही हो सकेगा।

चुनाव की घोषणा 6-10 जनवरी के बीच....
चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी, 2025 तक है। इससे पहले दिल्ली विधानसभा का गठन करने के लिए चुनाव कराया जाना है। इसके लिए दिल्ली का सीईओ ऑफिस भी तैयारियों में जुटा है। वोटर लिस्ट का फाइनल पब्लिकेशन 6 जनवरी को होगा। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि दिल्ली विधानसभा के लिए इस महीने नहीं बल्कि नए साल में 6 से 10 जनवरी के बीच घोषणा कर दी जाए। आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी राज्य के लिए विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के लिए न्यूनतम 35 दिन चाहिए होते हैं। ऐसे में 6 जनवरी से 10 जनवरी के बीच चुनाव की घोषणा के बाद आयोग को यह न्यूनतम समय आराम से मिल जाएगा।

वोट गिनती 18 फरवरी तक हो सकती है
सूत्रों का कहना है कि इस बात की भी काफी उम्मीद है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव ना केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के रिटायरमेंट से पहले ही करा दिए जाएं, बल्कि वोटों की गिनती भी 18 फरवरी या इससे पहले हो जाए। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस बात का अंतिम फैसला चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ही होगा। अगले साल दिल्ली के अलावा बिहार में चुनाव होने हैं।

राजनीतिक पार्टियों और अधिकारियों के साथ रिव्यू मीटिंग
उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और दोनों चुनाव आयुक्त दिल्ली में चुनाव कराने से पहले यहां तमाम राजनीतिक पार्टियों और फिर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पुलिस कमिश्नर और चीफ सेक्रेटरी समेत अन्य संबंधित विभागों के चीफ के साथ रिव्यू मीटिंग करेंगे। जिसके बाद वोटिंग और काउंटिंग का दिन तय होगा। किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव कराने से पहले यह एसओपी है कि वहां पहले आयोग इस बात को सुनिश्चित करे कि क्या कानून-व्यवस्था के लिहाज से राज्य में चुनाव कराए जा सकते हैं।