आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने भाजपा सरकार द्वारा लाए जा रहे प्राइवेट स्कूल फीस रेगुलेशन बिल को विधानसभा में पेश करने की मांग को लेकर सीएम रेखा गुप्ता को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने मांग की है कि जनता से रायशुमारी के बाद ही इस बिल को पास किया जाए. उन्होंने कहा कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, प्राइवेट स्कूलों की फीस बेलगाम बढ़ी है और सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया. एक बिल कैबिनेट में लाए, पर उसको छुपा कर रखा है और कोई रायशुमारी नहीं की.

अब शिक्षा मंत्री आशीष सूद का कहना है कि बिल को अध्यादेश के माध्यम से लाएंगे. यह चोर दरवाज़े से क़ानून क्यों? क्या सरकार प्राइवेट स्कूलों को संरक्षण देना चाहती है? उन्होंने “आप” विधायक दल की की तरफ से मांग किया है कि विशेष सत्र बुला कर फीस रेगुलेशन बिल को विधान सभा में पेश किया जाए. सेलेक्ट कमेटी को बिल रेफेर किया जाए, जो कि पेरेंट्स और अन्य स्टेक-होल्डर्स से रायशुमारी करें. पैरेंट्स की मांगे शामिल होने के बाद ही बिल को पास करें.

नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने गुरुवार को सीएम रेखा गुप्ता को लिखी चिट्ठी में कहा है कि जब से दिल्ली में भाजपा सत्ता में आई है, प्राइवेट स्कूलों ने मनमाने ढंग से बेलगाम फीस बढ़ा की है. अभिभावकों ने स्कूलों के बाहर, सड़कों पर, शिक्षा निदेशालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किए. लेकिन इन प्रयासों के बावजूद, सरकार ने एक भी निजी स्कूल की फीस वृद्धि को वापस नहीं करवाया.

आतिशी ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि उसने प्राइवेट स्कूलों की फीस नियमन के लिए एक बिल को कैबिनेट में पास किया है. हालांकि, इस ड्राफ्ट बिल को किसी ने नहीं देखा. इस महत्वपूर्ण विधेयक पर कोई सार्वजनिक परामर्श नहीं हुआ. न तो एक भी अभिभावक, न कार्यकर्ता, न ही शिक्षाविद ने इसके लिए अपने सुझाव दिए. यह गोपनीयता क्यों? ड्राफ्ट बिल को सार्वजनिक फीडबैक के लिए सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया.

आतिशी ने कहा कि एक प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था कि बिल जल्द ही विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा, लेकिन बुधवार को दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि यह बिल एक अध्यादेश के रूप में लाया जाएगा. यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है. बिल की ड्राफ्टिंग के समय कोई सार्वजनिक राय नहीं ली गई और अब विधानसभा में कोई चर्चा भी नहीं होगी.

आतिशी ने कहा कि इससे संदेह पैदा होता है कि भाजपा सरकार और प्राइवेट स्कूलों के बीच सांठगांठ है और यह बिल चोर दरवाजे से प्राइवेट स्कूलों के हितों की रक्षा के लिए लाया जा रहा है, न कि फीस वृद्धि की मार झेल रहे अभिभावकों के लिए लाया जा रहा है. एक मजबूत विपक्ष के रूप में “आप” इस मामले में जनता की आवाज उठाते रहेगी. यदि बिल को बिना किसी बहस या सार्वजनिक राय के अध्यादेश के रूप में लाया गया, तो यह जनता के संदेह को और पक्का करेगा.

“आप” की मांग:

  • सरकार को तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और फीस नियमन बिल को पेश करना चाहिए.
  • बिल को फिर एक सेलेक्ट कमेटी को सौंपा जाए, जिसमें भाजपा और “आप” दोनों के सदस्य हों.
  • सेलेक्ट कमेटी के जरिए सभी हितधारकों को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रायशुमारी की जाए.
  • इसके बाद ही, सभी सुझावों को शामिल करने के बाद बिल का अंतिम ड्राफ्ट विधानसभा द्वारा पारित किया जाए.