भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले में भोपाल की सीबीआई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एमपी पीएमटी-2009 परीक्षा में फर्जी चयन के मामले में 11 आरोपियों को दोषी करार दिया है। विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष की कोर्ट ने सभी आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई है और 16-16 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश का यह बहुचर्चित व्यापम घोटाला भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2009 की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें फर्जी अभ्यर्थियों और सॉल्वरों की मदद से प्रवेश दिलाने की साजिश रची गई थी। इनमें 4 अभ्यर्थी विकास सिंह, कपिल परते, दिलीप चौहान, प्रवीण कुमार थे, जिन्होंने सॉल्वरों के जरिए मेडिकल में प्रवेश के लिए परीक्षा दी थी। 5 सॉल्वर नागेंद्र कुमार, दिनेश शर्मा, संजीव पांडे, राकेश शर्मा, दीपक ठाकुर थे, जिन्होंने असली अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा दी थी, जबकि एक बिचौलिया सत्येंद्र सिंह इस पूरे नेटवर्क को चलाने का मास्टरमाइंड था। 

कोर्ट का फैसला

मामला उजागर होने पर वर्ष 2012 में राजधानी के कोहेफिजा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिस पर अब सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपियों को धारा 419, 420, 467, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार दिया है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि शिक्षा और चिकित्सा जैसे गंभीर क्षेत्र में इस तरह की धोखाधड़ी समाज के लिए खतरनाक है। इसे किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मध्य प्रदेश में हुआ व्यापम घोटाला चर्चित घोटाला है। इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ था, जिसमें सरकार द्वारा आयोजित कई भर्ती परीक्षाओं में वास्तविक अभ्यर्थियों के स्थान पर फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे थे। याद रहे कि व्यापम घोटाला उजागर होने के बाद कई अधिकारियों के साथ-साथ राजनेता भी जांच के घेरे में आए थे।