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शिवराज के मुख्यमंत्री पद से हटने तक नंगे पैर रहने का समाजिक कार्यकर्ता सोमेश्वर पाटीदार ने संकल्प लिया

◆ हिंदुत्व एवं संविधान पर दोहरी नीति से माँ गायत्री सरोवर की गंदगी व कुक्षी जिला बनाने का विषय प्रभावित

सरकार भले ही भाजपा की रहे, पर शिवराज मुख्यमंत्री के पद पर नही चलेगा- सोमेश्वर पाटीदार

कुक्षी। म.प्र. शासन के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यशैली व उनकी दोहरी नीति से हम अत्यंत त्रस्त हो गए है। इनके पद पर रहने तक नंगे पैर रहते हुए जूते चप्पल का त्याग करने का संकल्प गैर-राजनीतिक जनहित मंच “जनादेश सरकार” प्रमुख सोमेश्वर पाटीदार ने आज लिया।माँ गायत्री मंदिर में पूजा आरती करवाकर पं. प्रितेश पांडेय द्वारा विधिवत संकल्प करवाया गया।
समाजसेवी रूपेश बड़जात्या ने संकल्प के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित जनों के साथ समर्थन सहयोग की बात कही।
पाटीदार ने माननीय राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, प.पु. डॉ मोहन भागवत आरएसएस प्रमुख को भी इस आशय के पत्र प्रेषित किये थे।
पाटीदार ने बताया कि, हम जनहित, विकास व हिंदुत्व आस्था के मुद्दे पर प्रमुख रूप से बात करें तो, धार जिले की सबसे बड़ी तहसील कुक्षी में भारत का एक मात्र माँ गायत्री का मंदिर है जो सरोवर के बीच स्थापित है। निश्चित रूप से लंबे जन आंदोलन के पश्चात यहां म.प्र. शासन से विकास कार्यो के लिए राशि स्वीकृत कर कार्य किये जा रहें है। परंतु लगभग 5 वर्ष होने चले नगर परिषद कुक्षी के संकल्प पत्र में घोषित किया था कि, सरोवर को आकर्षक व नोका विहार करवाएंगे। नोका विहार तो दूर आसपास की कॉलोनियों का मलमूत्र गंदा पानी तक मंदिर सरोवर में आने से नही रोक पाए है। इस विषय को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य शासन तक डेढ़ माह पूर्व पत्र लिखकर चेताया गया था कि, माँ गायत्री मंदिर सरोवर में गंदा पानी आने से रोके अन्यथा 26 सितंबर 2022 को इसी सरोवर में डुबकी लगाकर गंदा पानी पियूँगा।
विडंबना देखिए कि, तय दिनांक को मैने सरोवर में डुबकी लगाई व मलमूत्र गंदा पानी भी पीया था, लेकिन शासन-प्रशासन का एक भी व्यक्ति उपस्थित होकर उक्त समस्या पर चर्चा करने भी नही आया। पूर्व में भी दिनांक: 17 जून 2019 को डुबकी लगाकर गंदा पानी पिया था। बरसो के जन आंदोलन को नजरअंदाज कर वेदों की देवी माँ गायत्री को शासन-प्रशासन ने मलमूत्र गंदगी से घेर रखा है। हिंदुत्व की विचारधारा बताते हुए हम सत्ता पर भी काबिज है और हिंदुत्व का पक्षधर भाजपा की सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदिर के मामले में इतने लापरवाह गेर-जिम्मेदार हो अच्छा संदेश नही है।
पाटीदार ने यह भी पत्र में उल्लेखित कर बताया कि, जनहित व क्षेत्र के विकास हेतु दशकों से प्रदेश के बड़े जिलों में शुमार धार से पृथक कर कुक्षी को जिला बनाने की मांग लंबित है, कार्यों की दृष्टि से आरएसएस ने भी कुक्षी को जिला माना है। उक्त विषय में आपके मुख्यालय तक भी समस्त जानकारी सहित मांग प्रस्ताव पत्र पहुँचा चुके है।
गत वर्ष दिनांक:18 मार्च 2021 को धार आगमन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हमारे द्वारा कुक्षी जिला बनाने का मांग प्रस्ताव पत्र सौपते ही उन्होंने जवाब दिया था कि, कुक्षी विधानसभा में जीत का अंतर देखो… हमने इस पर उन्हें जवाब दिया था कि, कुक्षी को जिला बनाओ हम आपको विजय जरूर बनाएंगे।
इस तरह की सोच क्या किसी मुख्यमंत्री के लिए संवैधानिक व शोभनीय है ? यदि इनके प्रत्याशी योग्य न हो और गुटबाजी के कारण पराजय मिले, तो जनता का क्या दोष ? निर्वाचन के बाद क्या मुख्यमंत्री सत्तारुढ़ दल का ही होता है या संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक के लिए जिम्मेदार मुख्यमंत्री होता है ? जनहित व क्षेत्र के विकास को दृष्टिगत रखते हुए, हम तमाम राजनीतिक व सामाजिक धर्मिक संगठनों के सहयोग समर्थन की अपेक्षा रखते है और म.प्र शासन से भी जनहित में इन दोनों विषयों को लेकर लंबे समय से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से गुहार लगाते आ रहे है।
माँ की आराधना के पर्व नवरात्रि के प्रथम दिवस शासन-प्रशासन ने मुझे मलमूत्र गंदे पानी भरे सरोवर में डुबकी लगाने व पीने को मुझे मजबूर कर दिया था। उस दिन से ही हिंदुत्व एवं संविधान के अनुशरण पर दोहरी नीति व गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते बहुत त्रस्त होकर अत्यंत दुखी हूं।
माँ नवदुर्गा के पावन पर्व के अंतिम दिवस महा नवमी दिनांक: 04 अक्टूबर 2022 मंगलवार को संकल्प के साथ दुखी मन से तब तक के लिए नंगे पैर रहते हुए चप्पल जूते नही पहनूंगा, जब तक म.प्र. शासन के मुख्यमंत्री के रूप शिवराज सिंह चौहान रहेंगे। सरकार भले ही भाजपा की रहें, पर ऐसा दोहरी नीति वाला गैरजिम्मेदार मुख्यमंत्री अब नही होना चाहिए। इन्हें तत्त्काल हटाने की भी मांग करता हूँ और जनहित के उपरोक्त विषयों पर अतिशीघ्र कार्यवाही चाहते हुए क्षेत्र को बड़ी सौगात भी मिले।

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