राज्य

बदनावर में अर्ली वेरायटी की सोयाबीन की कटाई शुरू:मालवा में आने लगे डूंगर के मजदूर

, कई किसान हार्वेस्टर से कटवा रहे सोयाबीन, पूर्वीक्षेत्र में वायरस का रहा असर

बदनावर में अब सोयाबीन कटाई का काम शुरू हो गया है। अर्ली वेरायटी की सोयाबीन पक चुकी है। किसान हार्वेस्टर मशीन व मजदूरों से कटाई में जुट गए है।

सर्वाधिक बोई गई सोयाबीन ( 85 से 90 दिन पकने वाली ) फसलों की प्रजातियों की कटाई प्रारंभ हो चुकी है। मंडी में नई सोयाबीन की आवक होने लग गई है। पहली सोयाबीन गत 8 सितंबर को ही मंडी में आ गई थी, जो मुहूर्त में 6 हजार 111 रुपये प्रति क्विंटल में बिकी थी। हालांकि नई सोयाबीन के औसत भाव 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास ही है।

बदनावर तहसील में 76 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन बोई गई थी। इसमें भी अधिकांश रकबा अर्ली वैरायटी की 7322 व 9560 प्रजातियों का था। हालांकि इस बार 9305 प्रजाति भी खूब बोई गईं,वक्योंकि सोयाबीन की इस प्रजाति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उच्च स्तर की होती है।हानिकारक कीट और वायरस इस पर अधिक प्रभावी नहीं हो पाते हैं।

वायरस ने की खराब फसल

इस बार यहां सोयाबीन में पीला मोजेक, तना मक्खी व अन्य किट का प्रकोप भी काफी देखने को मिला। बीमारी के कारण कई जगह अफलन, तो कई जगह सोयाबीन सूखकर पीली पड़ गई। सबसे ज्यादा बीमारी का प्रकोप पूर्वी क्षेत्र में देखने को मिला। इस कारण बीमारी ग्रसित खेतो में सोयाबीन का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।

मालवा में आने लगे डूंगर के मजदूर

मालवा क्षेत्र में झाबुआ व आलीराजपुर जिन्हें स्थानीय भाषा मे डूंगर कहते है, वहां से यहाँ मजदूरों का आना शुरू हो गया है। पिकअप व मैजिक वाहनों में भरकर मजदूर जत्थे के रूप में गांवो में सोयबीन कटाई के लिए आ रहे है।

बड़े किसान महीनेभर पहले से ही मजदूरों के मुखिया से अनुबंध कर लेते है। जब सोयाबीन पक जाती है तो मजदूरों का मुखिया मजदूरों को लेकर डूंगर से गांव आता है। जो सोयाबीन कटाई तक गांवो में ही रुकते है। हालांकि छोटे किसान मजदूरों से सोयाबीन कटाई की बजाय हार्वेस्टर मशीन का ज्यादा उपयोग करते है। इससे समय की भी बचत होती है।

Related Articles

Back to top button