धर्मराज्य

धार में नवरात्रि को लेकर तैयारी शुरु:देवी जी मंदिर प्रांगण का सीएमओ ने किया निरीक्षण, मेले की तैयारियां देखी, 300 दुकानें भी लगेगी

5 दिन बाद 26 सितंबर से 9 दिवसीय शारदेय नवरात्र मेला देवी जी मंदिर प्रांगण में लगने वाला है। इस वर्ष करीब 300 के लगभग छोटी-बड़ी दुकानें मेले की रौनक बढ़ाने वाली है। मेले की तैयारियों को लेकर नपा की टीम ने तैयारियां शुरु कर दी हैं।

सीएमओ निशिकांत शुक्ला ने व्यवस्था से जुड़े कर्मियों के साथ निरीक्षण किया। इस दौरान मंदिर परिक्रमा के लिए बनाए गए सीमेंटेड मार्ग पर विशेष साफ-सफाई के लिए निर्देशित किया। साथ ही तालाब क्षेत्र में बने झुग्गे की स्थितियां भी देखी। यहां पर उन्होंने साफ-सफाई कराने के साथ फूड जोन को लेकर प्लानिंग की है।

हालांकि फूड जोन को अभी मूर्तरूप नहीं दिया जा रहा है। निकाय को संभावना है कि पानी उतर जाएगा और यहां पर जोन बनाया जा सकता है। इधर सीएमओ ने मेला क्षेत्र के झूला प्रांगण को भी देखा। यहां पर भी व्यवस्थाओं को पुख्ता करने के निर्देश दिए। इसके अलावा स्वच्छता पर विशेष फोकस करने के लिए कहा गया है। जिसके तहत शौचालय और प्रांगण साफ-सफाई मुख्य केन्द्र में रखे गए हैं।

इधर देवीजी मंदिर पहुंच मार्ग के मोड पर दुकानें देखकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने व्यस्ततम मार्ग पर बड़ी-बड़ी गुमटियों को नहीं लगाने देने के लिए निर्देशित किया है। इसके पश्चात सीएमओ ने दशहरा मैदान पहुंचकर रावण दहन की तैयारियों के बारे में जानकारी ली। इधर मंदिर में भी विशेष साफ-सफाई अभियान शुरु हो चुका हैं, जल्द ही विशेष विधुत सज्जा से मंदिर को सजाया जाएगा।

9 दिन होंगे गरबे, चुनरी भी चढ़ाई जाएगी

मंदिर परिसर में 9 दिनों तक राञि के समय प्रतिदिन गरबे होंगे, जिन्हें उचित इनाम भी नपा के द्वारा दिया जाएगा। इसके साथ ही पंचमी से कई सामाजिक संगठन अपनी-अपनी और से चुनरी चढ़ाने के लिए भी मंदिर पहुंचते हैं, महाराष्ट्र में रहने वाले कई परिवार के लोगों की कुलदेवी भी मां गढ कालिका है। ऐसे में 9 दिनों में हजारों की संख्या में लोग दर्शन व पूजन करने पहुंचते है।

इधर मंदिर परिसर में बढ़ने वाली भीड़ को देखते हुए पुलिस द्वारा यहां पर अस्थाई पुलिस चौकी भी बनाई जाएगी। इसके साथ ही अतिरिक्त पुलिस बल शाम 6 बजे से लेकर अल सुबह की आरती तक तैनात रहेगा। शारदेय नवरात्र पर्व प्रारंभ होने में भले ही अभी 5 दिन शेष है, लेकिन झूले-चकरी लग गए है।

दरअसल इन्हें लाने में बड़ा ताम-झाम लगता है। वहीं लगाने में भी कई दिन परिश्रम करना पड़ता है। यही कारण है कि मेला प्रारंभ होने के पूर्व संचालक अपने झूलों के साथ पहुंच गए है और लगाना शुरु कर दिया है।

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