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धार्मिक स्थलों पर लाऊड स्पीकर लगाने की अनुमति लेना अनिवार्य,

उज्जैन

धार्मिक स्थलों पर लाऊड स्पीकर लगाने की अनुमति लेना अनिवार्य,

कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने धर्मगुरुओं की बैठक लेकर की अपील, 3 दिवस में उचित प्रक्रिया पूर्ण करायें, लाऊड स्पीकर निर्धारित सीमा से अधिक आवाज होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही होगी

उज्जैन 15 दिसम्बर। कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम एवं पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा ने संयुक्त रूप से शहर के विभिन्न धर्मगुरुओं की बैठक लेकर अवगत कराया कि धार्मिक स्थलों पर लाऊड स्पीकर लगाने की अनुमति लेना अनिवार्य है। धर्मगुरुओं से अपील की कि वे तीन दिवस में उचित प्रक्रिया पूर्ण कराकर सक्षम अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है। धार्मिक स्थल पर लाऊड स्पीकर निर्धारित डेसीबल में एक या दो होना चाहिये। दो से अधिक होने पर नियमानुसार सम्बन्धितों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। लाऊड स्पीकर निर्धारित सीमा से अधिक आवाज होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध उड़नदस्तों के द्वारा जांच की जायेगी। ध्वनि प्रदूषण के सम्बन्ध में शिकायत प्राप्त होने पर त्वरित जांच कर कार्यवाही निष्पादित करने के लिये नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जायेगा। जिले में नौ अनुभागों में उड़नदस्ता गठित किया गया है। इसमें जिला प्रशासन द्वारा नामित अधिकारी सम्बन्धित थाने के थाना प्रभारी एवं क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नाम‍ित अधिकारी रहेंगे। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री मृणाल मीना, नगर निगम आयुक्त श्री रोशन कुमार सिंह, एडीएम श्री अनुकूल जैन, धर्मगुरुओं में डॉ.रामेश्वरदास महाराज, महन्त भगवानदासजी महाराज, इस्कॉन मन्दिर के श्री राघव पंडित, बिशप सेबेस्टियन वडक्केल, श्री खलीकुर्रहमान आदि उपस्थित थे। बैठक में पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से मप्र प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी श्री एचके तिवारी ने विस्तार से जानकारी से अवगत कराया।

कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम ने मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को निर्देश दिये कि वह जिले के थानेवार अधिकारियों की बैठक लेकर उक्त अधिनियम की जानकारी से अवगत कराया जाये। नियमों का अनिवार्य रूप से पालन कराया जाये। ध्वनि प्रदूषण नियम के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों जैसे औद्योगिक, वाणिज्यकी रिहायशी व शान्त क्षेत्र में दिन व रात के समय अधिकतम ध्वनि तीव्रता निर्धारित की गई है जैसे औद्योगिक क्षेत्र में दिन की लिमिट 75 डेसीबल एवं रात्रि में 70 डेसीबल, वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन में 65 एवं रात्रि में 55, रिहायशी क्षेत्र में दिन में 55 एवं रात्रि में 45 और शान्त क्षेत्र में दिन में 50 एवं रात्रि में 40 डेसीबल है। उक्त क्षेत्रों को वर्गीकृत कर मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करें। इस सम्बन्ध में कृत कार्यवाही से शासन व मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अवगत कराया जाये। इसके लिये उड़नदस्तों का गठन किया गया है। ध्वनि प्रदूषण के सम्बन्ध में शिकायतें प्राप्त होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध त्वरित जांच कर कार्यवाही निष्पादित करने के लिये उड़नदस्तों का गठन किया है। उड़नदस्ते नियमित एवं आकस्मिक रूप से निर्धारित उपकरणों के साथ ऐसे धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थानों का औचक निरीक्षण जहां ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग होता हो तथा प्राप्त शिकायतों की आकस्मिक जांच होगी तथा नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जायेगा। उड़नदस्ते द्वारा जांच के निर्देश प्राप्त होने पर तत्काल जांच कर अधिकतम तीन दिवसों के अन्दर समुचित जांच प्रतिवेदन सम्बन्धित प्राधिकारी के समक्ष किया जायेगा।

बैठक में धर्मगुरुओं प्रश्नों का उत्तर भी कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने अधिनियम के तहत विस्तृत जानकारी से अवगत कराया। उड़नदस्तों का नोडल अधिकारी एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे। उड़नदस्तों द्वारा औचक जांचों की रिपोर्ट सम्बन्धित क्षेत्राधिकार वाले प्राधिकारी के समक्ष प्रकरण में आगामी कार्यवाही हेतु प्रस्तुत की जायेगी। उक्त प्राधिकारी कार्यवाही कर उसकी सूचना जिला स्तर के नोडल अधिकारी को दी जायेगी। संकलित साक्ष्य एवं उड़नदस्ते द्वारा की गई प्रारम्भिक जांच प्रतिवेदन उपलब्ध तथ्यों के आधार पर समुचित प्राधिकारी नियमों के उल्लंघनकर्ता को समुचित सुनवाई अवसर प्रदान करने हेतु अविलंब विधिवत नोटिस जारी किया जायेगा। सुनवाई का अवसर देने के उपरांत प्राधिकारी अधिकारी धारा-133 दंप्रसं की कार्यवाही, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही, ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही और मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम-1985 के प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही विधिवत सुनिश्चित की जायेगी। सक्षम प्राधिकारी को अपने समक्ष प्रचलित उक्त समस्त कार्यवाहियों में दंप्रसं 1973 के अन्तर्गत तलाशी, जप्ती, साक्ष्य अभिलेखन, आदेशिकाएं निर्गत करने की समस्त शक्तियां प्राप्त है।

ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के प्रभावी क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध अनुसंधान विभाग पुलिस मुख्यालय भोपाल को नोडल अधिकारी नियत किया गया है। उनके द्वारा ध्वनि प्रदूषण के सम्बन्ध में जिलों से प्राप्त सूचना संकलित कर गृह विभाग को उपलब्ध कराई जायेगी।

कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने बैठक में उपस्थित धर्मगुरुओं से संवाद एवं समन्वय के आधार पर अवैध लाऊड स्पीकरों को हटवाने तथा निर्धारित डेसीबल का अनुपालन कराये जाने को कहा है। धार्मिक स्थलों की सूची बनाई जाकर उक्त नियमों/आदेशों का अनुपालन होना नहीं पाया गया है तथा इसकी साप्ताहिक समीक्षा जिला स्तर पर की जायेगी और आवश्यक विधिवत कार्यवाही उपरांत पालन प्रतिवेदन इसी माह के अन्तिम सप्ताह तक गृह विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा।

ध्वनि विस्तारक यंत्रों जैसे लाऊड स्पीकर, डीजे के नियमा विरूद्ध अनियंत्रित व अवांछित प्रयोग से आपस में विवाद व तनाव की घटनाएं निर्मित होने की स्थिति में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के नियम विरूद्ध व अनियंत्रित प्रयोग पर प्रभावी नियंत्रण लगाने हेतु निम्नानुसार कार्यवाही की जायेगी- अधिकतम ध्वनि सीमा के अन्तर्गत ध्वनि मानकों के प्रावधानों का पालन करते हुए सामान्यत: मध्यम आकार के अधिकतम 02 डीजे के प्रयोग को ही अनुमत्य किया जायेगा। डीजे व लाऊड स्पीकर की विधिवत अनुमति सक्षम स्तर से अनिवार्य रूप से लेना अनिवार्य होगा। कोई भी संस्था या व्यक्ति द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियत यथासंशोधित का पालन करते हुए ही ध्वनि विस्तारक यंत्र, लाऊड स्पीकर, डीजे का प्रयोग किया जा सकेगा। ऐसे कार्यक्रम जिनमें नियमों का पालन न करते हुए डीजे या ध्वनि विस्तारक यंत्रों का अनियंत्रित रूप में प्रयोग किया जाता है, उनके आयोजकों के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। यदि पाया जाता है कि किसी शासकीय अधिकारी, कर्मचारी जिसका ध्वनि प्रदूषण के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराने का दायित्व था, परन्तु उसके द्वारा ऐसा न करने के कारण किसी धार्मिक स्थल या सार्वजनिक स्थल अथवा कार्यक्रम में नियम विरूद्ध ध्वनि विस्तारक यंत्रों, लाऊड स्पीकर, डीजे प्रयोग में लाया गया हो, जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध यथोचित अनुशासनात्मक कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी द्वारा किया जाना सुनिश्चित किया जायेगा।

ध्वनि प्रदूषण के कारण

प्राकृतिक ध्वनि प्रदूषण एवं मानव निर्मित ध्वनि प्रदूषण के कारण है, जिस तरह ध्वनि प्रदूषण की इस श्रेणी में वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, नदियां और जीवित जीवों की आवाज का आदान-प्रदान शामिल है। इसी तरह ध्वनि प्रदूषण की मानव निर्मित ध्वनि प्रदूषण में मशीनों, ऑटोमोबाइल, रेल गाड़ियां, हवाई जहाज, सामाजिक और धार्मिक उत्सवों, भाषणों, निर्माण कार्यों और अन्य आधुनिक उपकरणों की आवाज शामिल है।

ध्वनि प्रदूषण के विनियमन और नियंत्रण के लिये नियम

औद्योगिक गतिविधि, निर्माण, जनरेटर सेट, लाऊड स्पीकर, सार्वजनिक संबोधन प्रणाली, संगीत प्रणाली, वाहनों के हॉर्न और अन्य यांत्रिक उपकरणों जैसे विभिन्न स्रोबोतों से सार्वजनिक स्थानों पर बढ़ते परिवेशीय ध्वनि स्तर का मानव स्वास्थ्य और लोगों के मनोवैज्ञानिक कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। ध्वनि के सम्बन्ध में परिवेशीय वायु गुणवत्ता मानकों को बनाये रखने के उद्देश्य से शोर पैदा करने वाले और उत्पन्न करने वाले स्रोधनतों को विनियमित और नियंत्रित करना आवश्यक माना जाता है। उक्त उद्देश्यों के लिये नियम और अधिनियम अधिसूचित किये गये हैं, जिसमें ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 एवं मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम-1985 है।

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