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रक्त नहीं मिलने से मां काे खाेया 800 से ज्यादा डाेनर किए तैयार

रक्त का महत्व

रक्त का महत्व:

रक्त नहीं मिलने से मां काे खाेया…

800 से ज्यादा डाेनर तैयार किए,

थैलेसीमिया से पीड़ित 70 बच्चाें काे हर माह 140 यूनिट उपलब्ध कराते

 

शहर सहित जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को खून की समस्या से परेशान हाेना न पड़े इसके लिए ब्लड बैंक के सहयाेग से एक संस्था रक्त एकत्र कर उपलब्ध करा रही है। जिले के करीब 70 ऐसे बच्चे हैं, जो थैलेसीमिया से ग्रस्त हैं लेकिन उनके रिश्तेदार और नजदीकी लोग ब्लड देने के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। इसके लिए रक्तमित्र इंडिया फाउंडेशन ने डाेनर तैयार किए, जाे हर माह 140 यूनिट रक्त इन बच्चाें के लिए ही उपलब्ध कराते हैं। संस्था से जुड़े 26 वर्षीय चंद्रशेखर दुर्गालाल कामदार ने बताया मां काे कैंसर हाेने से 2011 में तबीयत बिगड़ने पर इंदाैर के अस्पताल में भर्ती कराया था। डाॅक्टर ने चार यूनिट अाे निगेटिव ब्लड लगना बताया। रक्त के अभाव में 13 जुलाई 2011 काे मां सूरजबाई की माैत हाे गई। बस उसी दिन से ठान लिया था कि रक्त के अभाव में किसी की माैत नहीं हाे

ब्लड बैंक में कमी के चलते गांव-गांव लगाए शिविर
काेराेना की पहली लहर में संस्था ने पर्याप्त ब्लड की व्यवस्था कर रखी थी। दूसरी लहर में समस्या आई थी। ब्लड बैंक में ब्लड की कमी और लाेगाें में बीमारी का डर हाेने से रक्त नहीं मिल पा रहा था। पाॅजिटिव ग्रुप में रक्त मिल जाता लेकिन ए, एबी व ओ निगेटिव ब्लड के लिए समस्या आती है। कामदार ने बताया लाॅकडाउन में गांवों में शिविर लगाकर 2250 यूनिट रक्त एकत्र किया।

थैलेसीमिया के बच्चों का दर्द समझ रक्तमित्र इंडिया से जुड़े कामदार, 21 बार रक्तदान कर चुके

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