बदनावर विधानसभा 2023 के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी से लड़ेंगे बागी नेता चुनाव????
बदनावर/धार
बदनावर विधानसभा 2023 के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी से लड़ेंगे बागी नेता चुनाव????
बदनावर विधानसभा चुनाव त्रिकोणी नहीं चतुर्भुजीय मुकाबला होगा ????
लगता है बदनावर विधानसभा को किसी की नजर लगी हुई है तो किसी की इस विधानसभा में नजर टिकी हुई है।
हर कोई बदनावर विधानसभा को पाने के लिए जतन कर रहा है कोई संतो से शिवपुराण करवा रहा है तो कोई आम जनता को रिझाने के लिए सामूहिक विवाह जैसे कार्यक्रम करवा रहा है।
विधानसभा चुनाव आने के पहले ही नए नए चेहरे आम जनता को रिझाने में लग गए हैं।
अपने लक्ष्य को साधने के लिए कोई धर्म का सहारा ले रहा है तो कोई समाजसेवी बन रहा है।
लेकिन सभी का मकसद एक ही है आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता का दिल जीतना।
ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि क्या बदनावर विधानसभा की जनता इतनी भोली भाली हैं कि कोई भी आकर उन्हें बेवकूफ बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर चले जाएंगे
आइए हम आपको थोड़ा विस्तार से समझाने का प्रयास करते हैं।
दरअसल हम आपको बता दें कि इस वर्ष के नवंबर माह में विधानसभा चुनाव होने वाला है इसके लिए कांग्रेस और भाजपा के छोटे बड़े नेता विधानसभा बदनावर में सक्रिय हो गए हैं।
इंदौर के रहने वाले कांग्रेसी नेता शरद सिंह सिसोदिया ने कोटेश्वर धाम में प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा कराकर जनता के बीच अपनी पहचान बनाने की कोशिश की ।
जनता के बीच जनता का दिल जीतने में कोई कोर कसर न रह जाए इसके लिए उन्होंने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का 2 दिन का कार्यक्रम का ऐलान भी कर दिया ताकि विधानसभा चुनाव के पहले टिकट और जीत की दावेदारी सुनिश्चित की जा सके। हालांकि सिसोदिया ने धार्मिक आयोजनों को राजनीति से कोई लेना देना नहीं बताया हैं।
तो वही कांग्रेस के दिग्गज और वरिष्ठ नेता बालमुकुंद सिंह गौतम जो कि धार विधानसभा में 2 बार चुनाव हार चुके है।
अब वे भी बदनावर से अपनी किस्मत आजमाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। गौतम बदनावर विधानसभा से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके हैं और 1 साल से बदनावर विधानसभा में काफी सक्रिय हो गए हैं तो वही वे समाज सेवा के रूप में सामूहिक विवाह छोटे बड़े कार्यक्रम में अनुदान राशि भी दे रहे हैं। और जनता के बीच अपनी छवि बनाने का बेशक प्रयास कर रहे हैं।
तो वही बदनावर विधानसभा से कांग्रेस के कार्यकर्ता अभिषेक सिंह टिंकू बना भी विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं इसके लिए वे पहले बदनावर विधानसभा मैं लगभग बदनावर बदलाव यात्रा निकाल चुके हैं। हालांकि टिंकू बना की इस यात्रा से कांग्रेस के कई दिग्गज नेता यात्रा से दूर ही रहे
अभिषेक सिंह टिंकू बना को पिछले विधानसभा उपचुनाव में टिकट मिल गया था हालांकि बाद में यह टिकट निरस्त करके कमल सिंह पटेल को दिया गया था।
अभिषेक सिंह टिंकू बना एक बार फिर टिकट मिलने की आस लगाए बैठे हैं और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
हालांकि कुछ और भी ऐसे छोटे बड़े कांग्रेसी नेता होंगे जो बदनावर विधानसभा पर अपनी नजर टिकाए रखी होगी शायद चुनाव के नजदीक आते ही वे बाहर निकल कर जनता के सामने आ सकते हैं।
अब अगर बात की जाए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की
तो बदनावर विधानसभा के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत की इस सीट पर नजर पड़ी। शेखावत की की एक ऐसी नजर थी जिसने बदनावर विधानसभा की सत्ता के विपरीत आने वाली सीट को सत्ता के पक्ष में जिताया था।
वरना बदनावर विधानसभा का लंबा इतिहास रहा
कि जब भी प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार बनती उसके विपरीत पार्टी की बदनावर से जीत होती थी।
लेकिन जैसे ही सन 2013 के चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत की नजर लगी। बदनावर का इतिहास बदल गया।
पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत ने बदनावर विधानसभा में सत्ता में रहते हुए बदनावर विधानसभा के लिए काफी बड़े-बड़े विकास कार्य किए इसी वजह से उन्हें बदनावर क्षेत्र की जनता विकास पुरुष के नाम से पुकारने लगी थी।
शेखावत ने बदनावर विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की गंगा बहा कर अपने राजनीति की जमीन मजबूत बना रखी थी लेकिन शायद उन्हें भी पता नहीं था कि उन्हें की पार्टी में कुछ विभीषण है जो उनकी यह राजनीति की जमीन को कमजोर कर देगा और आने वाले विधानसभा 2018 में हार का सामना करना पड़ेगा।
बदनावर विधानसभा क्षेत्र की जनता में आज भी पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत की अच्छी खासी पकड़ है वे जमीनी नेता है हर कार्यकर्ताओं से वे सीधे संपर्क में है और आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उनकी नजर टिकी हुई है शेखावत की जिस किसी पर भी नजर पड़ेगी उसकी हार निश्चित हो सकती हैं।
अब अगर बात की जाए वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और 2020 के उपचुनाव में इतिहासिक जीत हासिल की।
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर विधानसभा में भाजपा के लोकप्रिय और जमीनी कार्यकर्ता से सीधा संपर्क रखने वाले सरल सहज और ईमानदार नेता माने जाने लगे हैं।
दत्तीगांव के कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा में आने के बाद भी जनता में उनकी छवि कम नहीं हुई।
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पिछले उपचुनाव के बाद से ही क्षेत्र की जनता से डोर टू डोर मिलते रहे हैं छोटे-छोटे कार्यक्रम में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं यहां तक कि उन्होंने कोरोना काल में क्षेत्र की जनता के लिए काफी मेहनत और काम किया।
दत्तीगांव ने आज तक आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी बिल्कुल नहीं की और ना ही किसी से भी इस बारे में बात कर रहे हैं लेकिन उनकी बदनावर विधानसभा में पकड़ इतनी मजबूत है कि अगर पार्टी उनका टिकट नहीं काटती है तो उनकी जीत सुनिश्चित है।
कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और संघ से जुड़े रतन लाल पाटीदार जो अंबोदिया के रहने वाले हैं वे भी टिकट और चुनाव के लिए सक्रिय हो गए हैं।
रतन लाल पाटीदार भारतीय जनता पार्टी और संग में लगभग 20 साल से काम करते आए हैं पाटीदार का कहना है कि उन्हें संघ से चुनाव की तैयारी करने की हरी झंडी मिल गई है अब रतन लाल पाटीदार भी गांव गांव जाकर हनुमान चालीसा जैसे छोटे बड़े कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं और अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने में लग गए हैं।
हालांकि रतन लाल पाटीदार पिछड़ा वर्ग से आते हैं और भारतीय जनता पार्टी उन्हें टिकट देती है या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा लेकिन इतना जरूर है कि रतन लाल पाटीदार ने आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है जिससे भाजपा के कुछ नेताओं की नींद जरूर उड़ गई होगी।
अगर बात की जाए राजेश अग्रवाल की तो राजेश अग्रवाल भी भारतीय जनता पार्टी के पुराने कार्यकरता है और बदनावर विधानसभा क्षेत्र की जनता में अच्छी खासी पकड़ है अगर वह भाजपा से नाराज हो जाए तो फिर ऊंट किस करवट बैठेगा यह क्षेत्र की जनता भली-भांति जानती है।
हालांकि इतना जरूर साफ है कि भारतीय जनता पार्टी में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के कद का कोई नेता बदनावर विधानसभा के चुनाव 2023 के लिए कोई नहीं है।
और भारतीय जनता पार्टी उसी नेता को चुनाव मैदान में उतारेंगे जिसका कद पार्टी में बड़ा हो क्षेत्र की जनता में अच्छी खासी पकड़ हो जो विधानसभा की सीट को जीता कर भाजपा की झोली में ला सकें।
तो वही कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस में भी कई अच्छे नेता हैं जो क्षेत्र की जनता में अच्छी खासी पकड़ रखते हैं लेकिन कांग्रेस में एकता कम और फूट ज्यादा है ।
आने वाले विधानसभा चुनाव में यही वजह रहेगी कि एक अनार और कई बीमार की वजह से कांग्रेस को बदनावर विधानसभा सीट से हाथ धोना पड़ सकता है।
आने वाला विधानसभा 2023 का चुनाव बदनावर से एक दिलचस्प चुनाव होगा जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई है कि आखिर कांग्रेस पार्टी का अंतिम उम्मीदवार कौन होगा???
वहीं भाजपा के उम्मीदवार पर भी क्षेत्र की जनता में तरह-तरह के विचार उत्पन्न हो रहे हैं की वर्तमान कैबिनेट मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को बदनावर से टिकट मिलेगा या नहीं इस पर भी लोगों को संदेह बना हुआ है।
अगर सूत्रों की बात की जाए तो बदनावर विधानसभा 2023 के चुनाव में कांग्रेश भाजपा के उम्मीदवारों के अलावा कांग्रेस और भाजपा से बागी नेता भी खड़े होंगे जो अपनी अपनी ही पार्टी को टक्कर देंगे।
कुल मिलाकर बदनावर विधानसभा 2023 का चुनाव त्रिकोण ही नहीं बल्कि चतुर्भुजीय होगा।
यानी कांग्रेस से भी बागी उम्मीदवार खड़ा होगा तो वही भाजपा से भी बागी उम्मीदवार खड़ा होगा जो चुनाव को काफी प्रभावित करेंगे।
ग्लोबल इंडिया टीवी के लिए धार से विशेष संवाददाता अमर वर्मा की खास रिपोर्ट