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बड़े उद्योगों की अपेक्षा छोटे व मझोले उद्योग रोजगार देने में अधिक सक्षम – केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर

ग्वालियर

बड़े उद्योगों की अपेक्षा छोटे व मझोले उद्योग रोजगार देने में अधिक सक्षम – केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर
लघु उद्योग भारती एवं एमएसएमई विभाग के तत्वावधान में स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित
प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री सखलेचा की मौजूदगी में हुआ आयोजन
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि छोटे एवं मझोले उद्योग बड़े-बड़े उद्योगों से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराते हैं। इसीलिए सरकार छोटे और मझोले उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन दे रही है। सरकार की उद्योग हितैषी नीतियों से प्रभावित होकर विदेश में बसे भारतीय उद्यमी व तकनीकी विशेषज्ञ अपने देश में लौटने के लिये आतुर रहते हैं। श्री तोमर ग्वालियर में लघु उद्योग भारती द्वारा आयोजित स्टार्टअप कॉन्क्लेव के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने में लघु उद्योग भारती संस्था अहम भूमिका निभा रही है। स्टार्टअप कॉन्क्लेव में प्रदेश के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम और विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा विशेष रूप से मौजूद थे।
रविवार को यहाँ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के सभागार में आयोजित हुए स्टार्टअप कॉन्क्लेव में सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बलदेव भाई प्रजापति, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री प्रकाश चंद जी, राष्ट्रीय सचिव श्री समीर मूंदड़ा, महामंत्री श्री घनश्याम ओझा, प्रदेश अध्यक्ष श्री महेश गुप्ता व सुश्री उमा शर्मा सहित राष्ट्रीय स्तर के अन्य पदाधिकारीगण एवं लघु उद्योग भारती के मध्य भारत इकाई के प्रांतीय सचिव श्री सोबरन सिंह तोमर सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। स्टार्टअप कॉन्क्लेव में ग्वालियर व चंबल संभाग के सभी जिलों से आए उद्यमियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर विभिन्न उद्यमियों ने अपने-अपने उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई।
केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने स्टार्टअप कॉन्क्लेव में मौजूद उद्यमियों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि पिछले साढ़े आठ साल की अवधि में भारत सरकार द्वारा साढ़े 6 हजार से ज्यादा स्टार्टअप स्थापित कराए गए हैं, जिसमें 2 हजार से अधिक कृषि आधारित स्टार्टअप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए आह्वान की बदौलत संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मिलेट्स (मोटे अनाज) वर्ष घोषित किया है। मुद्रा योजना के तहत सरकार द्वारा छोटे-छोटे उद्यमों के लिये अब तक 19 लाख करोड़ की आर्थिक मदद वितरित की जा चुकी है। श्री तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय द्वारा मिलेट्स आधारित स्टार्टअप को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके अलावा सरकार के सभी विभागों में स्टार्टअप के लिये विशेष प्रावधान रखा गया है।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह भी कहा कि भारत अब दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कॉन्क्लेव में मौजूद नव उद्यमियों का आह्वान किया कि वर्तमान में उद्योगों के लिये स्वर्णिम कालखंड है। आप सब सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अपने उद्यम को आगे बढ़ाएँ। उन्होंने छोटे व मझोले उद्यमियों को संगठित कर उन्हें सुविधायें मुहैया कराने के लिये समृद्ध मंच प्रदान करने के लिये लघु उद्योग भारती संस्था की सराहना की।
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मध्यप्रदेश की औद्योगिक नीति देश की सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक नीति है – श्री सखलेचा
प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि मध्यप्रदेश की औद्योगिक नीति देश की सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक नीति के रूप में मिशाल कायम की है। प्रदेश में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने अपनी औद्योगिक नीति में मूलभूत परिवर्तन किया है। सरकार द्वारा क्लस्टर कॉन्सेप्ट लागू कर उद्योगों के लिये सस्ती जमीन, सस्ती बिजली और उत्कृष्ट अधोसंरचना उपलब्ध कराई जा रही है। क्लस्टर फार्मेशन पॉलिसी के तहत सरकार द्वारा अब तक 60 औद्योगिक क्लस्टर मंजूर किए जा चुके हैं। इसके अलावा 33 और क्लस्टर अगले दो माह के भीतर धरातल पर आ जायेंगे। सरकार बेहतर से बेहतर औद्योगिक वातावरण बनाने के लिये कटिबद्ध है। एमएसएमई को कॉमर्शियल बनाने के लिये कारगर कदम उठाए गए हैं। एग्रो प्रोसेसिंग को मध्यप्रदेश में विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है।
मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि अध्ययन से यह बात सामने आई है कि हमारे प्रदेश के औद्योगिक क्लस्टर चाइना से 15 प्रतिशत कम कीमत पर फर्नीचर उपलब्ध कराने में सक्षम है। फर्नीचर सेक्टर में सरकार 40 से लेकर 68 प्रतिशत तक अनुदान देती है। उन्होंने कहा प्रदेश सरकार खुद दो साल में पाँच हजार करोड़ रूपए से ज्यादा के फर्नीचर अपने प्रदेश के उद्यमियों से क्रय करेगी। साथ ही कहा कि स्पेशलाइज ट्रेनिंग देने वाले उद्यमों को सरकार द्वारा 13 हजार रूपए प्रति वर्कर के मान से भुगतान किया जाता है।
श्री सखलेचा ने उदाहरण रूवरूप कहा कि उद्योग लगाने में 100 रूपए खर्च करने वाले को 4 साल के भीतर सरकार 250 से 300 रूपए वापस कर रही है। सरकार ने मार्केटिंग की भी पुख्ता व्यवस्था कराई है। साथ ही भण्डारण नियमों में भी उद्यमियों के हितों को ध्यान में रखकर बड़ा बदलाव किया है।
मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि मध्यप्रदेश में सबसे स्टार्टअप को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। टेक्नोलॉजी से संबंधित 2 हजार स्टार्टअप प्रदेश में मंजूर हो चुके हैं। इनमें से एक हजार स्टार्टअप का संचालन महिलायें कर रही हैं। प्रिएन्टिव हैल्थ एवं कृषि आधारित स्टार्टअप भी मध्यप्रदेश में प्रमुखता से खुल रहे हैं।
श्री सखलेचा ने कहा कि सरकार मल्टीस्टोरी आधारित अधोसंरचना को भी बढ़ावा दे रही है। इससे लघु उद्योगों के लिये जमीन संबंधी समस्या हल हुई है। अगले 6 माह के दौरान सरकार 7 स 8 मल्टी लेवल क्लस्टर बनाने जा रही है। इस अवसर पर उन्होंने जानकारी दी कि बीमार उद्योगों को फिर से खड़ा करने के लिये सरकार ने नए नियम बनाए हैं, जिसके तहत बीमार उद्योग के स्थान पर नि:शुल्क रूप से दूसरी इंडस्ट्रीज शुरू की जा सकती है। तीन साल तक एमएसएमई में सजिस्टर्ड कंपनी से अब सरकार कोई लायसेंस फीस नहीं लेगी। इस आशय का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद उद्यमियों से कहा कि वे अपनी समस्यायें व्यक्तिगत रूप से टेलीफोन के माध्यम से भी बता सकते हैं।
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देश की तरक्की के लिये एमएसएमई को प्रोत्साहन जरूरी – सांसद श्री शेजवलकर
सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि सूक्ष्म व लघु उद्यमी औद्योगिक क्षेत्र के लिये समाज के आखिरी पंक्ति के व्यक्ति की तरह होते हैं। इसलिए उन्हें विशेष प्रोत्साहन की जरूरत होती है। इसी बात को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने व्यापक पैमाने पर मुद्रा लोन का वितरण कराया है। साथ ही विश्वकर्मा योजना और आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं के स्व-सहायता समूह गठित कराए हैं। उन्होंने एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिये बने सांसदों के समूह के बारे में भी जानकारी दी। साथ ही लघु उद्योग भारती द्वारा एमएसएमई की मदद के लिये किए जा रहे प्रयासों को खुलकर सराहा।
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आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में जुटी है लघु उद्योग भारती – श्री बलदेव भाई प्रजापति
लघु उद्योग भारती संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बलदेव भाई प्रजापति ने कहा कि 25 अप्रैल 1994 को लघु उद्योग भारती संस्था की स्थापना हुई थी। यह संस्था प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को धरातल पर लाने में पूरा सहयोग कर रही है। संस्था का मानना है कि लघु उद्योगों द्वारा ही राष्ट्र का उत्थान होगा। उन्होंने लघु उद्योगों के उत्पाद समूह बनाने पर विशेष जोर दिया।
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उद्यमिता भारत के निवासियों के खून में समाई है – श्री प्रकाश चंद जी
लघु उद्योग भारती के अखिल भारती संगठन मंत्री श्री प्रकाश चंद जी ने कहा कि उद्यमिता हमारे देशवासियों के खून में है। अगर हम लक्ष्य तय कर लें तो सबकुछ बना सकते हैं। उन्होंने इसके लिये हाल ही में अपने देश में तैयार की गई 5जी टेक्नोलॉजी का उदाहरण दिया। श्री प्रकाश चंद जी ने कहा कि देश में निर्माण क्षेत्र में व्यापक काम चल रहा है। भारत अब विश्व की सबसे बड़ी पाँचवी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा चुनौतियां और अवसर साथ-साथ चलते हैं। साथ ही कहा कि उद्यमी सही मायने में आर्थिक मोर्चे के सैनिक होते हैं। इसलिए वे परस्पर सहयोगात्मक रवैया अपनाएँ और सकारात्मक सोच के साथ सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अपने उद्यमों को आगे बढ़ाएँ।
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आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर स्टार्टअप कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में लघु उद्योग भारती के कैलेण्डर का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर नवगठित लघु उद्योग भारती की 11 इकाईयों के पदाधिकारियों से सभी का परिचय कराया गया। कार्यक्रम का संचालन लघु उद्योग भारती की मध्यभारत प्रांत इकाई के सचिव श्री सोबरन सिंह तोमर ने किया। कार्यक्रम में बायोप्लास्टिक स्टार्टअप इकाई के संचालक श्री सुदीप सेठ और एसडीपी पाइप स्टार्टअप के प्रबंध संचालक श्री आर्यन सिंह राठौर ने अपने सफलता के अनुभव साझा किए।
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