नशीले पदार्थों का गढ़ बनता जा रहा है बदनावर इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगे- करणी सेना बदनावर
बदनावर
नशीले पदार्थों का गढ़ बनता जा रहा है बदनावर इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगे करणी सेना बदनावर
बदनावर। बदनावर नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में नशीले पदार्थ का सेवन युवाओ द्वारा जोरो से किया जा रहा है ।
कई बार प्रशासन द्वारा पर कार्यवाही की गई परंतु इस नशेड़ीओ को रोकना प्रशासन के लिए चुनोती बन गया है।
जैसे ही नशीले पदार्थ बेचने वालों को प्रशासन द्वारा पकड़ा जाता है।
कुछ राजनीतिक दबाव के तहत कहीं ना कहीं दबकर उचित कार्रवाई नहीं कर पाते हैं ।
इसी के तहत श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना द्वारा ज्ञापन देकर नशीले पदार्थों बेचने वाला पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग रखी है।
चरस अफीम में इंजेक्शन कई तरह के नए-नए नशीले पदार्थों से युवा अपने भविष्य को खराब कर रहे हैं।
इसके उपयोग से खुशी, तनावमुक्त,उत्साह पूर्ण और नींद का अनुभव होता है।
इन नशीले पदार्थों का प्रतिक्रिया में सांस लेने में समस्या ,उल्टी महसूस होती है उनींदापन, शुष्क मुंह ,हदय गति और श्वास धीमी हो जाना
यदि धूम्रपान और हीरोइन का इंजेक्शन लगाते हैं, तो प्रभाव तुरंत शुरू हो जाते हैं ।
ज्ञापन में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश महासचिव पोपसिंह राठौर(पप्पी बना), संभाग महासचिव डॉ गोपाल सिंह ठाकुर, मंगलेश सिंह पवार, मदन सिंह देवड़ा,बन्टी बना,शंकर बना आदी कार्यकर्ता उपस्थित थे ।
श्री राठौड़ का कहना है कि यह नशीला पदार्थ स्मैक 700 से ₹1000 प्रति ग्राम के हिसाब से मिलता है तस्कर इसे सप्लाई करते हैं और पुड़िया बना बना कर बेचते हैं।
एक पुड़िया 1000 से ₹1500 में बेचते हैं।
हेरोइन को सामान्यतः स्मैक कहते हैं,रासायनिक रूप से यह डायएसिटिल मार्फीन है, जो एक सफेद, गंधहीन, तीखा क्रिस्टेलाइन यौगिक है।
चरस का सेवन करने से दिमाग़ के दो महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटरों पर असर पड़ता है।
जिनमें सेरोटोनिन और नोराड्रेनलीन ये दोनों दिमाग में भावनाओं को, खासकर डर की भावना को नियंत्रित करते हैं इन पर सीधा असर पड़ता है।
जिसमें सबसे ज्यादा युवा शामिल है।
गौर रहे कि नए शोध बताते हैं कि किशोरों के गांजा चरस इस्तेमाल करने से उनमें डिप्रेशन, शिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।चरस कभी-कभी दर्द से राहत देने वाली और सुखदायक होती है, लेकिन व्यसन का अनुभव करते समय अत्यधिक मिजाज और जलन हो सकती है। हालाँकि, इसे आनंद के अनुभव के लिए लिया जाता है, लेकिन इस दवा के दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी होते हैं।
यह श्वसन पथ की समस्याओं का कारण बनता है और फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है। कभी-कभी ओवरडोज जानलेवा भी हो सकता है। यह एक धीमे जहर की तरह है जो शरीर के अंगों को धीरे-धीरे और लगातार नुकसान पहुंचाता है।
करणी सेना ने इस नशीले पदार्थ को बदनावर से पूर्ण रुप से बंद करने के लिए ज्ञापन दिया है।
ग्लोबल इंडिया टीवी के लिए बदनावर से लोधा शिव शंकर रिंगनोदिया की रिपोर्ट