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देवास जिला अस्पताल में प्रतिदिन किये जा रहे मोतियाबिंद के निःशुल्क ऑपरेशन एवं लैंस प्रत्यारोपण

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देवास जिला अस्पताल में प्रतिदिन किये जा रहे मोतियाबिंद के निःशुल्क ऑपरेशन एवं लैंस प्रत्यारोपण
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जिले में दृष्ट्रिविहीनता नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत 8 हजार 845 व्यक्तियों के हुए मोतियाबिंद के निःशुल्क ऑपरेशन
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शासन द्वारा नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही है तथा शासन द्वारा संचालित स्वास्थ्य योजनाओं का आम नागरिकों को निरन्तर प्रदान की जा रही है। इसी के तहत कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता के मार्गदर्शन में जिले के सभी चिकित्सालयों में मरीजों को बेहतर स्वस्थ उपलब्ध कराया जा रहा है तथा नागरिकगण स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ भी ले रहे हैं। इसी के तहत राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत जिला चिकित्सालय देवास सहित अन्य स्वास्थ्य संस्थाअें में आंखों की जांच कर परामर्श व उपचार किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी शर्मा एवं सिविल सर्जन सह जिला नोडल अधिकारी राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम डॉ. एस.के.खरे ने बताया कि देवास जिले में दृष्ट्रिविहीनता नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 तक कुल 9 हजार 845 व्यक्तियों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किये गये। जिला चिकित्सालय देवास में 291, जिले की विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं में एन.जी.ओ. के माध्यम से 8 हजार 524 इस प्रकार कुल 8 हजार 845 व्यक्तियों के मोतियाबिंद के निःशुल्क ऑपरेशन किये गये एवं 1030 अन्य निजी संस्था द्वारा किये गये। मोतियाबिंद, लेंस में उम्र से संबंधित बदलाव होते हैं ये लेंस जो आपकी आंख के अंदर मौजूद होती हैं। आमतौर पर मोतियाबिंद उम्र बढ़ने के कारण होता है और नजर कमजोर होने का कारण बन सकते हैं। अभी, मोतियाबिंद का एकमात्र उपचार नेत्र शल्य चिकित्सा है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ बसंत सारस्वत द्वारा प्रतिदिन देवास जिला अस्पताल में 10 से 12 व्यक्तियों के मोतियाबिंद के निःशुल्क आपरेशन कर लैंस प्रत्यारोपण किये जा रहे है। डॉ बसंत सारस्वत नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया कि मोतियाबिंद क्या है? मोतियाबिंद तब विकसित होता है जब आपकी आंख का लेंस धूमिल हो जाता है। आम तौर पर, हमारी आंखों के अंदर एक स्पष्ट लेंस होता है। यह लेंस प्रकाश की किरणों को रेटिना, आंख की प्रकाश-संवेदनशील परत पर केंद्रित करता है। यह जानकारी हमारे लिए रेटिना से मस्तिष्क तक जाती है ताकि हम जान सकें कि हम क्या देख रहे हैं। लेंस, आईरिस (आपकी आंख का रंगीन हिस्सा) के पीछे रहता है। यह प्रोटीन से बना होता है और यह प्रोटनीन उम्र के साथ बदलता रहता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह बदल सकता है, जिससे लेंस के माध्यम से कम रोशनी हो सकती है। जैसे-जैसे आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा कम होती जाती है, वैसे-वैसे देखने की शक्ति भी कम होती जाती है। आमतौर पर, मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित करता है। मोतियाबिंद की शुरुआत में, व्यक्ति को दृष्टि संबंधी कठिनाइयों की शिकायत नहीं होती है। यदि उन्हें दिखने में परेशानी हो रही है तो उन्हें आमतौर पर चश्मा बदलकर ठीक किया जाता है। हालांकि, जैसे-जैसे मोतियाबिंद बढ़ता है, लोगों को काम रोशनी मे होने पर पड़ने मे दिक्कत हो सकती है। उन्हें रात में वाहन चलाते समय चकाचौंध का सामना करना पड़ सकता है और हो सकता है कि वे स्पष्ट रूप से न देख सकें।
डॉ बसंत सारस्वत नेत्र रोग विशेषज्ञ मोतियाबिंद के सामान्य लक्षण जैसे धूमिल, धुंधली या कमजोर नजर, रात में या काम रोशनी में देखने पर तकलीफ,प्रकाश और चकाचौंध के प्रति संवेदनशीलता, पढ़ने और अन्य गतिविधियों के लिए ज्यादा रोशनी की आवश्यकता,रोशनी के आसपास प्रभामंडल देखना चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के नंबर में बार-बार बदलाव, रंगों का फीका पड़ना या पीला पड़ना,एक आंख में डीपलोपीआ या डबल विज़न जैसे चीजे दो दो दिखाई देना आदि।
जिला चिकित्सालय देवास नेत्र रोग विभाग में पहुँच कर अपनी आँखों की निःशुल्क जाँच अवश्य कराएं एवं पाए जाने पर समाधान हेतु परामर्श लें। अपने नजदीक के सरकारी अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ और नेत्र सहायक से जांच करा सकते हैं।
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