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गांव से भटके मूकबधिर बालक को ढूंढ निकाला

बदनावर पुलिस के आरक्षक ने घर पहुंचाया

कानवन थाना अंतर्गत ग्राम कलोरा निवासी 8 साल के मूक बधिर बालक राहुल पिता गिरधारी कटारिया को बदनावर पुलिस थाने के आरक्षक अनिल द्विवेदी अपनी सूझबूझ से पता लगाकर परिजनों के सुपुर्द करने में सफल रहे। बालक को ग्राम बखतगढ़ के कोटवार ने बदनावर थाने पर लाकर सुपुर्द किया था।

टीआई दिनेशसिंह चौहान के मार्गदर्शन में आरक्षक अनिल द्विवेदी ने नेट की सहायता से पता लगाने का प्रयास शुरू किया। बालक के पास केवल एक बैग था। जिसमें कपड़े रखे थे। इसके अलावा पता या मोबाइल नंबर नहीं थे।

इंदौर की संस्था से किया संपर्क

बालक सुन सकता था लेकिन बोल नहीं पाता था। ऐसी स्थिति में उसके गांव का पता लगाना मुश्किल था। लेकिन द्विवेदी ने अपनी सूझबूझ से इंदौर की संस्था आनंद सर्विस सोसायटी की संचालक मोनिका पुरोहित को बालक के बारे में सूचना दी तो उन्होंने धार के एक शिक्षक का पता बताया। जो सरदारपुर तहसील के बरमंडल के पास बरखेड़ा की मूक बधिर संस्था से परिचित थे।

पुलिस ने शिक्षक से संपर्क कर उन्हें मूकबधिर बच्चे का फोटो व्हाट्सएप पर भेजा। जिसके बाद शिक्षक ने बताया कि कोरोना काल में यह बालक इस आश्रम में रहा था। यह कलोरा गांव का रहने वाला है। इसके बाद बच्चे के गांव का पता चलने पर पुलिस ने घर वालों को सूचना दी। तब बालक के पिता, भाई व अन्य लोग बदनावर थाने पर आए और बालक को उसके भाई दीपक के सुपुर्द किया। जो खुशी-खुशी उसे अपने साथ घर ले गए।

पूछताछ में पता चला कि बच्चे का पिता भी मूक बधिर है। जबकि परिवार के अन्य सदस्य स्वस्थ हैं। वह किस तरह अकेला गांव से निकल आया, यह घर वालों को पता नहीं चल सका। हालांकि कुछ समय तक दिखाई नहीं देने पर घर वाले भी उसकी कुशलता की कामना करते हुए चिंताग्रस्त होकर खोजबीन कर रहे थे।

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