कूनो नेशनल पार्क से निकलकर रहवासी क्षेत्र में आया चीता
चीता ओवान ने कूनो के बाहर किया चिंकारा का शिकार
चीता ओवान ने कूनो के बाहर किया चिंकारा का शिकार:
तीन दिन से भूखा था, अब भी कूनो से दूर शिवपुरी के जंगल में लोकेशन
कूनो नेशनल पार्क से निकलकर पिछले रविवार से भटक रहा चीता ओवान ने आज यानी बुधवार सुबह चिंकारा का शिकार किया। वह तीन दिन से भूखा था। उसने किसी भी वन्य जीव का शिकार नहीं किया था। वन्यजीव विशेषज्ञ बताते हैं कि, चीते हर 24 से 72 घंटे में एक ही बार भोजन करते हैं। हालांकि इससे इंसानों को खतरा नहीं है क्योंकि चीते इंसानों को नहीं खाते लेकिन खुद चीते को खतरा हो सकता है। दूसरी ओर कूनो नेशनल पार्क में भी सुरक्षा इंतजाम बढ़ाए गए हैं। शिकारियों से चीतों को बचाने के लिए ट्रेंड डॉग की तैनाती की गई है।
वन विभाग के अनुसार चीता की लोकेशन शिवपुरी के जंगल से सटे हुए पोहरी इलाके के सुमेड बैचाई गांव से कुछ ही दूरी पर है। चीते को सबसे पहले रविवार को विजयपुर इलाके के झार-बड़ौदा फिर पार्वती-बड़ौदा और उसके आसपास टहलते देखा गया था। मंगलवार को चीता ओवान दिनभर विजयपुर के अगरा इलाके के नहाड शिलपुरा इलाके में रहने के बाद शाम को अगरा वन रेंज के जंगल में वापस पहुंच गया। हालांकि, अभी भी वह कूनों के रिजर्व जोन में नहीं पहुंचा है, इसलिए बुधवार को वह एकबार फिर रिहायशी इलाकों के आसपास पहुंच सकता है।
वन विभाग की टीमें लगातार चीते पर नजर बनाए हुए हैं। चीते की गर्दन में लगे रेडियो कॉलर से वनकर्मी हर घंटे उसकी लोकेशन ट्रेस कर दूर से ही चीते को अपनी आंखों से देख रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसे किसी तरह की कोई तकलीफ तो नहीं हैं।
डिहाइड्रेशन या हीट स्ट्रोक का खतरा
तीन दिन से उसे बार-बार पानी वाली जगहों के आसपास देखा जा रहा है। इस समय कूनो और इसके आसपास करीब 33 डिग्री तक अधिकतम तापमान पहुंच रहा है, इसलिए ज्यादा समय तक भूख या प्यास उसकी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। उसे डिहाइड्रेशन या हीट स्ट्रोक का खतरा भी हो सकता है। चिंकारा का शिकार करना वन अमले के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि चीते की सेहत का ख्याल रखना उनकी जिम्मेदारी है, ऐसे में अगर वह भूखा रहता तो उसकी सेहत बिगड़ सकती थी। कूनो के बाहर चार दिन बिताकर और अपने दम पर शिकार कर ओवान ने यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी परिवेश में रह सकता है।
चीते को देख कर दहशत में हैं ग्रामीण
नेशनल कूनो पार्क के रिहायशी इलाके में लगातार चीता देखे जाने से इलाके के ग्रामीण डरे हुए हैं। कई लोगों ने तो खेतों की ओर जाना भी बंद कर दिया है। उनकी मांग है कि चीतों को कूनो सेंचुरी में ही रोका जाए। इसके इंतजाम प्रशासन और सरकार जल्द से जल्द करे ताकि वह सुरक्षित रह सकें। हालांकि वन विभाग के अफसर उन्हें समझा रहे हैं कि इंसानों को डरने की जरूरत नहीं क्योंकि चीते इंसानों का शिकार नहीं करते।
जर्मन शेफर्ड डॉग ईलू को कूनों में शिकार रोकने की जिम्मेदारी
कूनो नेशनल पार्क में भी सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाए जा रहे हैं। शिकारियों को घुसने से रोकने और वन्यजीवों का शिकार रोकने के लिए चीता टास्क फोर्स ने 7 महीने की स्पेशल ट्रेनिंग दिलाकर एक जर्मन शेफर्ड डॉग को मंगलवार को कूनो मंगवाया है। इस डॉग का नाम ईलू है जो कूनो के चप्पे-चप्पे पर नजर रखकर खासतौर पर शिकारियों को आने से रोकेगा।
डीएफओ बोले- लगातार चीते पर हमारी नजर
नेशनल कूनो पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा ने कहा कि ओवान चीता जो कूनो से बाहर निकल गया है उस पर वन विभाग की लगातार नजर है। उसने पिछले दिनों में किसी भी वन्य जीव का शिकार नहीं किया है। लेकिन फिलहाल वह पूरी तरह से सुरक्षित है। उसे सामान्यत: तीन दिन में भोजन करना होता है। फिर भी चीते से किसी भी इंसान को कोई खतरा नहीं है। गर्मी में हर कोई छांव या ठंडक वाली जगह पर रुकना चाहता है वह जानवर है तो गर्मी को देखते हुए वह भी ठंडी पानी वाली जगह पर रुकना पसंद कर रहा है।