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कहीं आपका मोबाइल फोन का डाटा भी दूसरो के इशारे पर तो नहीं ?

सोशल नेटवर्किंग साइट, फर्जी व्हाट्सएप, ईमेल, फेसबुक से हैकिंग का खतरा बड़ा

लेखक-राजेश शर्मा वरिष्ठ पत्रकार

मोटिवेशनल स्पीकर , ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छ सर्वेक्षण- 2023 —— पत्रकारिता के क्षेत्र में 20 वर्ष के अनुभव के दौरान नईदुनिया , दैनिक जागरण, हैलो हिन्दुस्तान, दैनिक सुबह सवेरे , दैनिक एल एन स्टार , हर पहर, सहित देश के अनेक समाचार पत्र, पत्रिकाओं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( डिजिटल मीडिया) में कार्यरत … — म.प्र. शासन के जनसंपर्क निदेशालय द्वारा वर्तमान में राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार… — लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया मैनेजमेंट की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वाह —– धार जिला बार एसोसिएशन के मीडिया प्रवक्ता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वाह किया —- पत्रकारिता में शोध तथा फैलोशिप का अनुभव.. —- पीएससी प्रतियोगी परीक्षा मार्गदर्शक के रूप में मेरे अनेक विद्यार्थी प्रशासनिक अधिकारी के रूप में चयनित …. # पत्रकारिता पर कई पुस्तकों का लेखन.. — म.प्र. शासन के जनसंपर्क निदेशालय द्वारा प्रतिष्ठित इंदौर संभागीय अधिमान्यता पत्रकार समिति का मेंबर मनोनीत किया गया था… – शासन की नई- नई योजनाओं पर आधारित पुस्तकों एवं स्मारिका का संपादन ….. —- मध्यप्रदेश पीएससी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी समाजशास्त्र विषय पर कैसे करें… लेखक के रूप में पुस्तक लिखी….जिसे प्रदेश भर के प्रतियोगियों ने सराहा # शैक्षणिक योग्यता :- हायर सेकंडरी ( साइंस) प्रथम श्रेणी , बी.ए , प्रथम श्रेणी…. एम. ए. राजनीति विज्ञान एवं एम. ए. समाजशास्त्र टापर्स…. एल. एल. बी.(आनर्स ) ….. पत्रकारिता में बीजेएमसी..डीएवीवी इंदौर से सिल्वर मेडल……. पत्रकारिता की मास्टर डिग्री एम. जे. डीएवीवी इंदौर से ( गोल्ड मेडलिस्ट ) . ….. – बतौर एंकरिंग देश-प्रदेश के कई बड़े मंचों का संचालन……. — देश की कई सेलिब्रिटी और ख्यातनाम हस्तियों से साक्षात्कार… @ दैनिक जागरण में बतौर ब्यूरो चीफ 2007 में मेरी रिपोर्ट राज्यसभा में गूंजी……

 

कहीं आपका मोबाइल फोन का डाटा भी दूसरो के इशारे पर तो नहीं ?

सोशल नेटवर्किंग साइट, फर्जी व्हाट्सएप, ईमेल, फेसबुक से हैकिंग का खतरा बड़ा

कही आपका मोबाइल फोन का डेटा भी दूसरों के इशारे पर तो नहीं? सोशल नेटवर्किंग साइट्स, फर्जी व्हाट्सएप, ई-मेल, फेस बुक से हैकिंग का खतरा बढ़ गया है….. डिजिटल युग में जब सब चीजे आनलाईन हो रही है.. पर्चेसिंग से लेकर पैमेंट तक ऐसे में साइबर क्राइम का बढ़ता संजाल और ग्लोबली फैलते नेटवर्क ने सबकी नींद उड़ा दी है….. ऐसे में प्रश्न उठता है कि हैकिंग रूपी इस संगठित क्राइम से हम अपने को सुरक्षित कैसे रखे……

सोशल प्लेटफॉर्म हैकर्स के लिए किसी भी मोबाइल फोन के डाटा चुराना एक आसान जरिया बनता जा रहा है और इसका इस्तेमाल सुरक्षित नहीं रह गया है। यह खुलासा कई विदेशी आईटी सिक्योरिटी फर्म ने अपनी रिपोर्ट में किया है। उन्होंने रिपोर्ट में बताया है कि मोबाइल फोन में मौजूद पर्सनल डेटा के साथ अब हैकर्स बैंकिंग डिटेल भी चोरी कर रहे हैं। व्हाट्सएप और ऐसी दर्जनों एप्लीकेशन के स्मॉर्टफोन और कंप्यूटर पर एक साथ आने के बाद से हैकर्स और ज्यादा सक्रिय हो गए हैं और सिक्योरिटी सेंध लगा रहे हैं। डेटा को चोरी करना भी आसान

सिक्योरिटी फर्म कॉमोडो लैब्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 मैं यूजर्स को व्हाट्सएप ओर अन्य सोशल साइट्स के नाम पर कई फर्जी ईमेल आ रहे हैं। इसमें बहुत सारे मेल आपको वॉइस नोटिफिकेशन आया है ‘या’ एक ऑडियो मेमो आपसे छूट गया है सब्जेक्ट के साथ आ रहे हैं। ओर तो ओर आपको लॉटरी या अन्य प्रलोभन के साथ मेल किया जाता है इस तरह के संदेश अथॉरिटीज के मेल ऐड्रेस से नहीं आते, लेकिन यूजर्स को लगता है की ऑफिशियल की तरफ से ही यह मेल आया है और यूजर्स धोखा खा जाते हैं।

आजकल प्रायः फेसबुक पर यह मेसेज देखने मे आ रहा है कि मेरी फेसबुक आईडी हैक हो गयी है और उससे पैसे मांगे जा रहे है कृपया पैसे ना दे, पर क्या सच मे आई डी हैक हुई है या नहीं।

How to Hack a Mobile App: It's Easier than You Think!

आईटी एक्सपर्ट और साइबर विशेषज्ञ राकेश उपाध्याय की रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले तो यह समझना आवश्यक होगा कि आपका फेस बुक बुक एक एकाउंट हैक होना और उस जैसा दूसरा बन जाने में बहुत ही अंतर है एवं ये जो हैकर्स होते है ये इतने जानकर नहीं होते कि आपके एकाउंट को हैक कर ले ये आपकी आई डी जैसे ही हूबहू एक ओर आई डी का निर्माण करते है तथा आपके मित्रो को रिक्वेस्ट भेजते है। जब आप आई हुई रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करते है तो इनका असली खेल शुरू होता है। ये कुछ इधर उधर की बाते करते हुए आपसे रुपये की मांग करते है और आप में से कुछ लोग अपनी मित्र की आई डी समझकर रुपये दे देते है।

ये रखना होगी सावधानियां

• सबसे पहले रेगुलर रूप से कुछ दिनों के अंतराल में अपना प्रोफाइल पिक्चर ओर कवर पेज चेंज करते रहे

• सेटिंग्स में थोड़ा चेंज जिस आप प्रोफाइल लॉक कर सकते या नोटिफिकेशन केवल दोस्तो तक सीमित कर सकते…

अपडेट सॉफ्टवेयर से भी बच सकते हैं यूजर..

• स्मार्ट फोन की सेटिंग में जाकर डेटा यूसेज पर जाए और उसके बाद एप यूसेज में चेक करें

• अगर कोई ऐप ज्यादा डेटा यूज़ कर रहा है तो उस पर नजर रखें… आपका स्मार्टफोन हैक हो गया है तो एंटी वायरस का इस्तेमाल करें… :

• फोन में ऐसा कोई ऐप है जो डाउनलोड नहीं किया गया था, तो उसेअनइनस्टॉल कर दे…

• अपने स्मार्टफोन के सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट करते रहेंगे तो हैकिंग का खतरा कम हो जाता है..

• कंपनियां समय समय पर सॉफ्टवेयर रिलीज करती है, जिनसे अपने फोन को अपडेट करके आप उसे सुरक्षित कर सकते हैं। हैकिंग क्या है

हैकिंग का सही अर्थ हैकिंग अवे से लिया गया है, जिसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में बेहद कुशल है और बिट्स और बाइट्स पर हैक करता है। आज हैकिंग की परिभाषा परिभाषा एक स्वयं-सिखाया प्रोडिजी को संदर्भित करती है, जो किसी डेवलपर के आर्किटेक्करल डिजाइन के बाहर कंप्यूटर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को मोडिफाइड करने में सक्षम है।

आईटी एवं सायबर एक्सपर्टस राकेश उपाध्याय ने स्टडी और तथ्यों के आधार पर हैकिंग के कुछ ऐसे प्रचलित तरीके बताए हैं जो हैकर्स द्वारा सबसे ज्यादा यूज़ किए जाते हैं…..

1. फिशिंग इंडियन यूजर्स सबसे ज्यादा जिस तरह के स्कैम में फंसते है वह है फिशिंग।
यह फॉड पूरी तरह से लालच पर ही चलता है। यूजर के पास मैसेज भेजा जाता है कि उनके नंबर पर ईनाम निकला है जिसमें फलां-फलां गिफ्ट, पैसा, सामान इत्यादि शामिल है। ऐसे मैसेज देखकर लोग झट से लिंक पर क्लिक कर देते हैं और मुफ्त का सामान पाने के चक्कर मछली की तरह जाल में फंस जाते हैं। यकिनन आपके पास भी ऐसे मैसेज जरूर आए होंगे। जरा कॉमन सेंस से सोचिए, बिना बच्चे के रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती, तो फिर आपको क्यों कोई फी में ईनाम देकर जाएगा।

2. स्पैम लिंक- फिशिंग की तरह ही काम करता है स्पैम लिंक।

यूजर्स को वाट्सएप इत्यादि पर वेबसाइट्स के लिंक भेजे जाते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए कहा जाता है। जैसे ही लोग लिंक पर क्लिक करते हैं तो वायरस या इनफेक्टिव फाइल्स फोन में सेव हो जाती है तथा सिस्टम को हैक कर लेती है। ये लिंक काफी हद तक ओरिजनल प्रोडक्ट व वेबसाइट जैसे ही दिखते हैं जिस वजह पहचानना मुश्किल हो जाता है। ये जो त्यौहारों पर अपने नाम की बधाई वाली जीआईएफ बनाकर भेजी जाती है, ये भी स्पैम ही होती है। इसके अलावा रिपोर्ट, न्यूज, आर्टिकल, ऑफर या लॉटरी के रूप में भी स्पैम लिंक मैसेज आते हैं।

3. मेलिशियस एप- ऐसी मोबाइल ऐप्लीकेशन्स जो इन्फेक्टिड होती

है यानि जिनमें वायरस छिपा होता है। जब भी कोई ऐसी ऐप फोन में इंस्टाल की जाती है तो ऐप के साथ साथ वायरस भी फोन में घुस जाता है और फोन हैक कर डाटा चुरा लेता है। ये ऐप्स मोबाइल गेम, वीडियो प्लेयर या टिकटाक जैसी वीडियो मेकिंग और फोटो एडिटिंग के रूप में भी मिल सकती है। इस ऐप्स अधिकतर थर्ड पार्टी ही होती हैं और आईफोन व एंडरॉयड के ऑफिशियल ऐप स्टोर पर इन्हें जगह नहीं दी जाती है।

4. डाउनलोडस- ‘भाई.. वो नेटफ्लिक्स पर जो नई मूवी आई है

वो है तेरे पास..?’ इस तरह की बातें दोस्तों में अक्सर होती रहती है। और इन बातों की दूसरी या तीसरी लाईन यही है कि ‘सेंड कर दे’। इस तरह की मूवीज़, वीडियोज़ व गानें जब इंटरनेट से डाउनलोड किए जाते हैं तो साथ साथ हैकिंग का सामान भी साथ लेकर आते हैं। इंटरनेट पर अनेको ऐसी वेबसाइट्स है जो वायरस इंफेक्टेड फाइल सर्व करती है। पाइरेसी इस तरह के वायरस का सबसे बड़ा घर है।

5. पॉप-अप – इंटरनेट की दुनिया में ब्राउजिंग करते-करते कहां तक पहुंच जाते हैं
पता नहीं चल पाता है। इस बीच कई वेबसाइट्स व वेबपेज पर तरह-तरह के पॉप-अप भी सामने आते रहते हैं। ये पॉप-अप इरिटेट तो करते हैं ही तथा साथ में हैकर्स को आपके मोबाइल में घुसने का भी रास्ता दिखा देते हैं। गलती से अगर किसी पॉप-अप पर क्लिक हो जाए तो कहीं पीछे नई टैब खुल जाती है और तक उस टैब तक पहुंच कर उसे बंद किया जाता है तब तक वायरस आपके सिस्टम में प्रवेश कर चुका होता है।

You might have been HACKED – find out on iPhone, Android or PC right now | The Sun

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