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आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर शिवराज सरकार का मांडू में चल रहा मंथन

सत्ता व संगठन के दिग्गज नेता पहुंचे मांडू के चिंतन प्रशिक्षण शिविर में

आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर शिवराज सरकार का मांडू में चल रहा मंथन

सत्ता व संगठन के दिग्गज नेता पहुंचे मांडू के चिंतन प्रशिक्षण शिविर में

मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार चरम सीमा पार, क्या शिवराज सरकार बचेगी?

 

धार। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए शिवराज सरकार ने मांडू के प्रशिक्षण शिविर में चिंतन किया गया और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सत्ता व संगठन के दिग्गज नेताओं ने प्रशिक्षण शिविर को संबोधित किया। ऐसे शिविर के आयोजन से सरकार को क्या फायदा होगा और आम जनता को इस शिविर से क्या लेना देना!

भ्रष्टाचार व मंहगाई की मार से आम आदमी परेशान

आगामी विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख मुद्दे होंगे जो सरकार को बनाने व बिगाड़ने का काम करेंगे। वर्तमान समय में आम आदमी मंहगाई की मार से जूझ रहा है। मंहगाई की मार के कारण सारे त्यौहार फीके पड़ गये हैं। मंहगाई के कारण त्योहारों की रौनक बाजारों से गायब हो चुकी है। सरकार ने मंहगाई पर नियंत्रण नहीं किया तो जनता अपना रुख पलट सकती है। दूसरा मुद्दा बेरोजगारी हैं। इस मंहगाई के समय में आम आदमी का व्यापार, रोजगार, मजदूरी सब चौपट हो चुके हैं। आम आदमी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। बेरोजगारी ने आम आदमी को हताश व निराश कर दिया है। सरकार ने आम आदमी के हाथों को काम नही दिया है। वर्तमान समय में बेरोजगारी के कारण युवा पीढ़ी रोजगार के लिए तरस रही हैं और कुछ काम मिलता है तो आरक्षण के कारण कॉम्पटीशन अधिक होने के कारण पढ़े लिखे युवा वर्ग भी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। तीसरा मुद्दा भ्रष्टाचार का है। वर्तमान समय में सत्ता के नशे में चूर नेता व अधिकारियों के द्वारा भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा हैं। शासन की योजनाओं का लाभ गरीब व अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाता है। गरीबो के हक पर नेताओं व अधिकारियों ने डाका डाल दिया है। सरकार की योजनाओं का लाभ सत्ता के नेता ही उठा रहे हैं। अधिकारी वर्ग शासन की योजनाओं को कागज पर चला रहे है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों में अमीर आदमी को शामिल किया गया है और गरीब परिवार के बहुत कम लोगों को लाभ मिल पाता है। मनरेगा योजना में भी खुलेआम फर्जीवाड़ा चल रहा है। गरीब मजदूरों को काम नही दिया जाता हैं और फर्जी नाम से रुपयों का भुगतान हो रहा है।

धार जिले में आगामी विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी

आगामी विधानसभा चुनावों में धार जिले की सातों सीटों पर नजर दौड़ाई जाए तो कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। कुक्षी विधानसभा से सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, गंधवानी विधानसभा क्षेत्र से उमंग सिंगार, सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रताप ग्रेवाल, धरमपुरी क्षेत्र से पाचीलाल मेढ़ा, मनावर विधानसभा क्षेत्र से जयस के नेता हीरालाल अलावा जो कांग्रेस के समर्थक माने जाते हैं और बदनावर विधानसभा चुनावों में बीजेपी अंदरूनी भितरघात की शिकार होगी। बदनावर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, व शेखावत के द्वारा टिकिट की दावेदारी पेश की जा रही हैं और एकदूसरे को निपटाने में लगे हुए हैं। धार विधानसभा क्षेत्र में टिकिट किसे मिलता है। यह देखने वाली बात होगी। संभावना ऐसी जताई जा रही हैं कि कुलदीप सिंह बुंदेला को इस बार कांग्रेस मैदान में उतारती हैं तो धार नगर की जनता बदलाव चाहती हैं और कुलदीप सिंह बुंदेला भारी मतों से विजयी होने की संभावना है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ हारे हुए प्रत्याशी गौतम को टिकिट नही देगे। सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को धार जिले में भारी नुकसान होने वाला है। पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य विधानसभा में कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए थे। यही आदिवासी समुदाय सरकार बनाने व बिगाड़ने का काम करती हैं। मालवांचल क्षेत्र में लगभग 40 आदिवासी सीटे हैं जो विधानसभा चुनावों को प्रभावित करती हैं। सम्पूर्ण प्रदेश में अजजा की लगभग 90 सीटें आरक्षित वर्ग की है।

बीजेपी के चिन्तन, प्रशिक्षण शिविर में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर क्या कार्य योजना बनाई गई है। सत्तारूढ़ भाजपा के नेता व मंत्री भ्रष्टाचार में आकंठ गले तक डूबे हुए हैं और अधिकारी वर्ग भी सत्ता के नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है, और तबादला उधोग में जो राशि खर्च की है उसकी वसूली करने में लगे हुए हैं। तृतीय श्रेणी कर्मचारी जिसने तबादला करने के लिए आवेदन दिया था। एक लाख रुपये में तबादला होता है। तबादलों के दौरान मंत्री के बंगलो पर मेला लगा हुआ था और मंत्री के निज सहायक, सचिव से लेकर ओएसडी भी ले देकर तबादला कर रहे थे। सभी कर्मचारी व अधिकारियों के रेट निर्धारित किये गए थे। शासन ने जो स्वयं के व्यय पर तबादला किये वह ले देकर ही हुए हैं और जो प्रशासनिक हुए उन्हें हटाया गया है मतलब उन्हें खो कर दिया गया है अब वह तबादला निरस्त या संशोधन करने में ख़र्च करेंगे। प्रदेश में सरकार किसी भी दल की हो तबादला उधोग जमकर चलता है। भोपाल में मंत्रियों के बंगलो पर खुलेआम मेला लगता है।

वरिष्ठ पत्रकार राकेश साहू की रिपोर्ट

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